* विजयकुमार राउत
देर रात ऑफिससे थका हारा लौटने के बाद दीक्षांत बिस्तरपर लेट गया. जल्दही वह गहरी निंदमे खो गया. आधी रातके के बाद उसने एक अजिबोगरीब सपना देखा. सपने मे पती-पत्नी एक दुसरे के साथ जोर जोरसे लढ रहे थे. महिलाने गुस्से मे खुद के हाथोंसे बदनपर मिट्टी का तेल डाल ले दिया और माचिस की तिल्लीसे आग लगा दी. आग कि लपेटे उठ रही थी. और वह जोर जोरसे चिल्ला रही थी. देखते ही देखते वह जलकर कोयला हो गयी. कुछ पल सन्नाटा. लेकीन ताज्जुब की बात ! वह महिला कोयले की ढेरसे फिरसे उठकर खडी हुवी. परिजनो के साथ हसती मुस्कुराती बाते करने लगी. आग मे स्नान करने के बाद वह खुद को बडी फ्रेश और आरामदेह महसूस कर रही थी. दुसरे दृष्य मे एक मोटारसायकील की ट्रकके साथ जबरदस्त भीडत हो गयी. मोटारसायकीलस्वार का शरिर छिन्न विच्छीन्न हो गया . कुछ पल बाद कार्टुन फिल्म के किसी पात्र की तरह उसने अपने आप को इकठ्ठा कर लिया. गाडी को किक मारी और वह निकल पडा. जैसे कुछ हुवाही न हो. परिक्षा मे फेल होने के कारण एक छात्रने जहर पी लिया. कुछही पलमे वह खुद को बडा फुर्तीला और हलका महसूस कर रहा था ! दरवाजे पर बेल बजने के बाद दीक्षांत का सपना टूट गया. बिस्तरसे उठकर उसने दरवाजा खोला. जमिन पर पडे अखबार को उठाया और पढने लगा ! खबर थी.."गुडगाव के किसी कारखाने मे तकनिकी गलती के कारण एक रोबोटने किसी मजदूर को उठाकर भट्टी मे डाल दिया...
विजयकुमार राऊत
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