विजयकुमार राउत
दरिया मे जैसे लहर जिंदगानी
जरा बात करलू ठहर जिंदगानी !
अंदाज तेरा हे सबसे निराला
कभी शाम तू, सहर जिंदगानी !!
मेरा पता ना अब मुझको पुछों
कभी गाव था, अब शहर जिंदगानी !!
हस-हसके मैने जो तुमको जिया है
हमपे न ढा- ओ कहर जिंदगानी !!
हाथो से तुमने कभी मय पिलादी
तेंरे हाथ से दो जहर जिंदगानी !!
पत्थरपे फुलो को है खिलते देखा
पतझड मे भी तू बहर जिंदगानी !!
मेंरी सास मे, है अहसास मे तू
तुझसे जिंने का हुनर जिंदगानी !!
विजयकुमार राउत
दरिया मे जैसे लहर जिंदगानी
जरा बात करलू ठहर जिंदगानी !
अंदाज तेरा हे सबसे निराला
कभी शाम तू, सहर जिंदगानी !!
मेरा पता ना अब मुझको पुछों
कभी गाव था, अब शहर जिंदगानी !!
हस-हसके मैने जो तुमको जिया है
हमपे न ढा- ओ कहर जिंदगानी !!
हाथो से तुमने कभी मय पिलादी
तेंरे हाथ से दो जहर जिंदगानी !!
पत्थरपे फुलो को है खिलते देखा
पतझड मे भी तू बहर जिंदगानी !!
मेंरी सास मे, है अहसास मे तू
तुझसे जिंने का हुनर जिंदगानी !!
विजयकुमार राउत